जो विद्या को भगवान् शंकर ने माँ पारवती को, भगवान् सूर्य ने महावीर हनुमान जी को और संत कबीर ने श्रुति गोपाल दास जी को योग्य पात्र समझ कर दी, वही आध्यात्मिक विद्या आज के सन्दर्भ में शोध कर, एवं आधुनिक विज्ञान रूप में परिणित कर स्वामी कृष्णानंद जी महाराज जिज्ञासु एवं योग्य साधकों को प्रदान कर रहे है ।
स्वर योग साधना भारत की प्राचीनतम विधि है, जिसके प्रयोग से आप अपने घर-परिवार-समाज में प्रसन्नता पूर्वक रहते हुए सफलता प्राप्त कर सकते है । स्वर योग साधना केवल जीवंत स्वर-विद्य गुरु के सान्निध्य में रहकर ही फलित होता है । इस साधना में साधक अपने स्वर (श्वास) को माध्यम बनाकर, अपने दैहिक-दैविक-भौतिक तापों से मुक्त हो अध्यात्म के चरम पर पहुँचने की कला सीखता है । स्वर और जीवन के रहस्यों को स्वयं अनुभव कर जीव-जगत में रहते हुए, राजा की तरह विचरण करता है । इस अतिविशेष साधना को सीखाने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर आयोजित किये जाते हैं, जिसमे साधना प्रशिक्षण पूज्य गुरुदेव द्वारा स्वयं दिया जाता है ।