दिव्य गुप्त विज्ञान ध्यान की उच्चतम तकनीक है जिसके प्रयोग से आप सांसारिक कार्यों में सफल होते हुए समाधी में प्रवेश कर सकते हैं। यह पूर्णतः वैज्ञानिक विधि है जिसमे पूज्य गुरुदेव आचार्यों के माध्यम से आप में शक्तिपात कर दिव्यास्त्र, देवास्त्र, आरोपित कर सील कर देते हैं । सकारात्मक भाव एवं विचारों से किया गया इसका प्रयोग आपको मनोवांछित यश, कीर्ति, ऐश्वर्य और विद्या को उपलब्ध कराता है तथा शारीरिक एवं मानसिक कष्टों (जैसे तनाव, डिप्रेशन आदि) से निदान प्राप्त करवाता है ।
दिव्य गुप्त विज्ञान वर्तमान समय के लिए कामधेनु है जिसके प्रयोग से साधक स्वयं दैहिक-दैविक-भौतिक तापों का निवारण करने में सक्षम हो जाता है । इस साधना पद्धति को सीख कर आप अपने सूक्ष्म शरीर में स्थित ऊर्जा केंद्रों (चक्र) को ऊर्जान्वित कर सकते हैं जिससे कुण्डलिनी शक्ति का जागरण एवं आत्म-बोध साक्षात्कार सहज ही हो जाता है । अतः इस विद्या को उचित पात्र को ही प्रदान किया जाता है । दिव्य गुप्त विज्ञान के प्रयोग से नकारात्मक ऊर्जा का सकारात्मक रूपांतरण सहज ही हो जाता है तथा साधक के आभा मंडल का विस्तार होने लगता है । भाग्योदय, व्यापार में वृद्धि, विद्या-अध्ययन, गृह-नक्षत्र जनित दोष, वास्तु दोष, नशा-मुक्ति आदि के लिए यह विद्या अचूक राम-बाण है ।
यद्यपि दिव्य गुप्त विज्ञान आपको भौतिक जगत में सफलता प्राप्त करा सकती है , इस विद्या को प्रदान करने का मुख्य उद्देश्य रोग निवारण ना होकर अध्यात्म पथ से जुड़ना है । ध्यान-साधना और समय के सद्गुरु का मार्गदर्शन आपको अपने भाग्य का निर्माता स्वयं बना देता है, साथ ही आपको माध्यम बना कर जन साधारण के कल्याण हेतु पात्र बना देता है । इस विद्या के चार चरण हैं- साधक, सिद्ध, सिद्धसिद्ध और आचार्य और इसे सीखने के बाद आपको प्रमाण पात्र भी प्रदान किया जाएगा ।