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सदविप समाज सेवा

‘आत्मा मोक्ष हेतु साधना और जगत हित हेतु सेवा’ के दोहरे लक्ष्यों को साकार करने के लिए, सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज ने सदविप्र समाज सेवा की स्थापना की है- जिसकी वैश्विक स्थापना में प्रत्येक ‘सदविप्र’ इकाई सेवा भव (निस्वार्थता और उदारता) से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रही है ।

सभी सदविप्र ध्यान-साधना करते हुए , जात-पात  के बंधनों से मुक्त होकर,  जन-समान्य को साधना के पावन पथ  पर लाने के कार्य में प्रयास-रत है । सदविप्र का अर्थ है सदवृत्तिओं से युक्त विशेष प्रज्ञावान व्यक्ति, जिसमे चरों प्रकार की सेवा करने का सामर्थ्य है –

  • ब्राह्मणोचित सेवा: समाज में फैली हुई अज्ञानता, अशिक्षा और अंधकार को दूर करने के लिए ज्ञान प्रदान करना
  • क्षत्रियोचित सेवा: समाज के कमजोर वर्गों पर हो रहे अत्याचार का शक्ति से शमन करना
  • वैश्योचित सेवा: अर्थाभाव के कारण दुखी लोगों की धन से सेवा करना
  • शूद्रोचित सेवा: किसी भी रोगी, दुखी, अपाहिज, अबला की शरीर से सेवा करना

एक सामाजिक-आध्यात्मिक संगठन के रूप में, SVSS कई मायनों में समाज के लिए योगदान करने के लिए जारी है। देश के किसी भी भू-भाग में आई प्राकृतिक आपदा में हमारी संस्था तन-मन-धन से सेवा करती है ।

छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश में सदविप्र कार्यकर्ता गरीब पिछड़े आदिवासी बच्चों  को नि: शुल्क शिक्षा, भोजन और वस्त्र प्रदान करती है । प्रदुषण मुक्ति के लिए हर राज्य में वृक्षारोपण कार्य हो रहा है । डुमरी, बरईपुर और बक्सर में स्थित सद्गुरु धाम आश्रम के पास रहने वाले लोगों में गंगा सफाई जागरूकता कार्यक्रम भी चलाये जाते हैं ।

सदविप्र समाज सेवा नियमित रूप से स्वास्थ्य जागरूकता और रक्तदान शिविर का आयोजन करती है ।साथ ही आर्थिक रूप से  कमज़ोर परिवारों की लड़कियों की शादी में वित्तीय सहायता प्रदान करता है। सदविप्र समाज सेवा के सदस्य प्रतिभा खोज आयोजित कर सभी वर्गों में युवा प्रतिभा को बढ़ावा देने में प्रयास-रत हैं  ।

चिकित्सा और ध्यान के संयोजन से सदविप्र समाज सेवा नशामुक्ति अभियान संचालित कर रही है । सक्रिय साधना, स्वर साधना, दिव्य गुप्त विज्ञान, शिव कीर्तन, खेचरी मुद्रा, नाड़ी एवं चक्र शोधन, कुण्डलिनी जागरण और तांडव द्वारा आध्यात्मिक जागृति का कार्य निरंतर हो रहा है  ।